शिर्डी साईं की कहानियां, खास आपके लिए…



www.thedmnews.com

खबर अच्‍छी लगे तो कमेंट करें/ दोस्‍तों के साथ शेयर करें।

साईं बाबा के चमत्कारिक कहानियों के पीछे जीवन से जुड़ी कोई न कोई शिक्षा या मर्म छिपा है। साईं बाबा सशरीर भले ही अब नहीं हैं लेकिन सच्चे भक्तों को हमेशा यह एहसास होता है कि साईं बाबा उनके साथ हैं। उनकी जन्म तिथि के विषय में यह मान्यता है कि एक बार अपने एक भक्त के पूछे जाने पर उन्होंने अपनी जन्म तिथि 28 सितंबर 1836 बताई थी। इसलिए हर 28 सितम्बर को उनका जन्मदिन मनाया जाता है। इस मौके पर उनके जीवन से जुड़ी कुछ दिलचस्प कहानियों पर एक नजर।

भोजन में सभी प्राणियों का हिस्सा
शिरडी के लोग शुरू में साईं बाबा को पागल समझते थे लेकिन धीरे-धीरे उनकी शक्ति और गुणों को जानने के बाद भक्तों की संख्या बढ़ती गयी। साईं बाबा शिरडी के केवल पांच परिवारों से रोज दिन में दो बार भिक्षा मांगते थे।

वे टीन के बर्तन में तरल पदार्थ और कंधे पर टंगे हुए कपड़े की झोली में रोटी और ठोस पदार्थ इकट्ठा किया करते थे। सभी सामग्रियों को वे द्वारिका माई लाकर मिट्टी के बड़े बर्तन में मिलाकर रख देते थे। कुत्ते, बिल्लियाँ, चिड़िया निःसंकोच आकर उस खाने का कुछ अंश खा लेते थे, बची हुए भिक्षा को साईं बाबा भक्तों के साथ मिल बाँट कर खाते थे।

कुत्ते का नहीं साईं का अनादर 

एक बार साईं के एक भक्त ने साईं बाबा को भोजन के लिए घर पर बुलाया। निश्चित समय से पूर्व ही साईं बाबा कुत्ते का रूप धारण करके भक्त के घर पहुंच गये। साईं के भक्त ने अनजाने में चूल्हे में जलती हुई लकड़ी से कुत्ते को मारकर भगा दिया।

जब साईं बाबा नहीं आए तो उनका भक्त घर पर जा पहुंचा। साईं बाबा मुस्कुराये और कहा, “मैं तो तुम्हारे घर भोजन के लिए आया था लेकिन तुमने जलती हुई लकड़ी से मारकर मुझे भगा दिया।” साईं का भक्त अपनी भूल पर पछताने लगा और माफी मांगी। साईं बाबा ने स्नेह पूर्वक उसकी भूल को क्षमा कर दिया।

उदी की महिमा से संतान सुख
लक्ष्मी नामक एक स्त्री संतान सुख के लिए तरप रही थी। एक दिन साईं बाबा के पास अपनी विनती लेकर पहुंच गयी। साईं ने उसे उदी यानी भभूत दिया और कहा आधा तुम खा लेना और आधा अपने पति को दे देना।

लक्ष्मी ने ऐसा ही किया। निश्चित समय पर लक्ष्मी गर्भवती हुई। साईं के इस चमत्कार से वह साईं की भक्त बन गयी और जहां भी जाती साईं बाबा के गुणगाती। साईं के किसी विरोधी ने लक्ष्मी के गर्भ को नष्ट करने के लिए धोखे से गर्भ नष्ट करने की दवाई दे दी। इससे लक्ष्मी को पेट में दर्द एवं रक्तस्राव होने लगा। लक्ष्मी साईं के पास पहुंचकर साईं से विनती करने लगी।

साईं बाबा ने लक्ष्मी को उदी खाने के लिए दिया। उदी खाते ही लक्ष्मी का रक्तस्राव रूक गया और लक्ष्मी को सही समय पर संतान सुख प्राप्त हुआ।

www.thedmnews.com

खबर अच्‍छी लगे तो कमेंट करें/ दोस्‍तों के साथ शेयर करें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *