स्विस बैंक बीआईएस ने बताया, ”नॉन-बैंक लोन और डिपोजिट्स (अतीत में इन लेन-देन को ही कालेधन के तौर पर आंका जाता रहा है. इसमें इंटर-बैंकिंग ट्रांजैक्शन शामिल नहीं है ) में कमी आई है.” बैंक के मुताबिक 2016 में नॉन-बैंक लोन का आंकड़ा जहां 80 करोड़ डॉलर था. वह 2017 में घटकर यह 52.4 करोड़ डॉलर पर आ गया है.
बैंक ने बताया कि एनडीए के राज में स्विस नॉन-बैंक लोन और डिपोजिट्स में काफी ज्यादा कटौती हुई है. 2013 से 2017 के दौरान इसमें 80 फीसदी की कमी आई है. स्विस बैंक की यह सफाई उन मीडिया रिपोर्ट्स के बाद आई है, जिनमें कहा जा रहा था कि स्विस बैंक में भारतीयों की जमा राशि 50 फीसदी बढ़ी है.
इसको लेकर बीआईएस ने कहा कि इस डाटा को आम तौर पर गलत तरीके से पेश किया जाता है. क्योंकि इसमें कई और लेन-देन भी शामिल होते हैं. बैंक के मुताबिक यहां जमा राशि में नॉन-डिपोजिट लाएब्लिटीज, भारत में स्थित स्विस बैंकों की शाखाओं का कारोबार भी शामिल होता है. इसमें बैंकों के स्तर पर हुआ लेन-देन भी होता है. इसके अलावा जमा राशि में भरोसेमंद देयता भी शामिल होती है.
बैंक ने स्विस अंबेसडर एंड्रियास बॉम की तरफ से वित्त मंत्री पीयूष गोयल को लिखे पत्र का जिक्र भी किया है. बैंक ने कहा कि पत्र में कहा गया है कि ज्यादातर यही समझा जाता है कि स्विस बैंक में भारतीयों का जो पैसा है, वह काला धन है. पत्र में यह भी बताया गया है कि स्विस बैंकों में अपना पैसा जमा करने वाले लोगों का डाटा बैंक ऑफ इंटरनेशनल सेटलमेंट्स (BIS) की तरफ से इकट्ठा किया जाता है.
उन्होंने बताया कि मैंने स्विस बैंक में जमा भारतीय राशियों को लेकर पेश किए गए आंकड़ों को लेकर पूछा. उनकी तरफ से मुझे लिखित जवाब आया. इसमें उन्होंने बताया कि जब भी स्विस बैंकों में भारतीयों के जमा पैसे को लेकर बात होती है, तो मीडिया उसे अघोषित आय अथवा काले धन के तौर पर पेश करता है.
पीयूष गोयल ने कहा कि स्विस बैंक ने बताया कि अगर आप जानना चाहते हैं कि स्विस बैंकों में भारतीयों का कितना पैसा जमा है, तो यह लोकेशनल बैंकिंग स्टैटिक्स के जरिये पता किया जा सकता है. साभार आजतक
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